मेला है चार दिन का एक रोज सामान सौ बरम का पन का नहीं सबका जाना ठिकाना -72.
मल मन केरोज पुलों से महका સાબુન महका रहा हो चमका रहाही जिसको इटर जसको काया थथी होगी ये नो
भुणाना समान सो बरस का पतका नही ठाकाना २ मेगा हा चार दिन
मन हो हारे का मन्दिर इसको निवार सेतु करके कर्म #तु अच्छे जीवन प्रभु 1 सवार लेतु र पापों से मन को अगर हो पाना पल को राना सामान नहीं डीकाना मेना हो चार दिन का बरस का स्टाले
एक रोज होणी जर जर कचन सी तैरी काथा तिनका
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तलाक भी तुक्षसे ना जाएगा पर हिगाया रह जायेगा घन मूल और खजाना सामान सौ बरस का पल कानही ठिकाना मेना हा चार दिवको
6 साधी है। दो घड़ी के कहता है, जिनको अपना जाग नीद से ओ मुर्ख जग वेन का हा सपना गायेजा निशदिन हारे नाम कां तरना
समान सौ बरस -
मेला हो चार दिन क