शुरू बिना मुक्तिना
गुरू बिना मुक्ति ना चाहे कर लो जतन हजार
गुरु बिना ज्ञान, जानु बिना मुक्ति आशा तृष्णा ना तेर रुकता मिटता ना अंधकार, गुरु बिना
गुरु वचन पर ड्रे बिना है लाख चौरासी करे बिना है कोई हो नहीं सकता पार गुरु बिना
राम नाम के हीरे मोती. गुरू ज्ञान से खिलजा ज्योती मिट जाए अंधकार, गुरु बिना
सतगुरु परम पुरुष हो पुरे सुमरन करके मानन्द हो रहे समझ शब्द की सर, गुरु बिना"-