दुनियादारी को तज
अनियादारी को तनु, प्रम नाम को भज तुझे जाना से जग है मुसाफिर खाना !!
ये है थोड़े ही दिन की कहानी कोई राजा बने कोई रानी उनका, ताजमहल सब करते टहल वो भी हो गये यहाँ से बेगाना। ये जग है- दुनियादारी को रखाना
कैसा खींचा है लम्बा सा घेरा यहां से उखड़ेगा सब का लम्बा घेरा ना ही डेरा है खींच प्रभु नाम को सींच लुट जायेगा सब ये खजाना। ये जग- दुनियादारी को
दिन-दिन जिनकी ढलती ही जाये जवानीत जिनकी दुनिया बनी थी दिवानी जब सूरखेगा अंग लाया हो जायेंगी भंग बात पुरेसा अपना-बेगाना । ये जग -
दुनियादारी को -
तेरी फिर ना बजेगी हरमुनिया तंग रह जाए तेरी