गुरु चरणों का अभिनन्दन करूँ मैं बार बार वंदन। --- टेक
जलज पद गंग धरा आई जगत ने है मुक्ति पाई।
चरण नख ज्योति जहाँ छाई सकल विद्या है दरसाई।।
सुखद शीतल जैसे चन्दन करूँ मैं बार-बार वंदन। --- १
मोह अज्ञान हटा देते सत्य का तत्व बता देते।
जीवन अमरतत्व बना देते शरण में जब अपनी लेते।।
जगत लगता जैसे चन्दन करूँ मैं बार-बार वंदन। --- २
जिन्हें सुर मुनि नर ध्याते हैं किन्तु वे पार न पाते है।
ज्योति अनुपम है उस छवि की ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं।।
उन्हीं का शत शत अभिनन्दन करो मैं बार-बार वंदन। --- ३