मेरे उठे बिरह की पीड़ सरवी दरी वृदावन वृक्षवन जाऊगी सखी री वृदावन जाऊगी
श्याम मैं कैसे मेरे सलोनी शुरत की दिवानी तारू पीड़ हो गई वृदावन जाऊंगी छोड़ दिया मैंने भोजन यानी राम याद मै मेरे नयनों में बरसे नीट सखी री वृदावन जाऊँगि मेरे उॐ