जहाँ कई पापी तिर गए ती मेरा गुरु दर ऐसा है।
राजस्ती एका पापिन नारी दिय समाधी देकर तारी उसनो पाप निवार जी मेरा सतगुरु ऐसा है जहाँ
हरिहरू राय सत्र जज था भारा, भटक-2 कर वो ? उसको पार लगाया जी, मेरा सतगुरु ऐसा जहा
3 हीरागिरी तो तुमने ही तारा वृद्ध अघोरी की भक्ति को हत दे दर्शन मेळू मल्लाह को तारा, मेरा सतगुरु ऐसा है जहा
ऐसी सतगुरु थापन र थापी लोटरी अन्तर्मी तोर पापी मेरी बुनियादी जी मेरा सतगुरु ऐसा
5 बाहर भीतर की सब जाने, नौका लगादी गुरू ने ठिकाने उससे कई साथ उत्तोर जी, मेरा सतगुरु ऐसा हरे जहा
रोजा आरा रणसिंह तान्त्रिक भारा, प्रभुजी पर उसने मंत्र मंत्र भार-2 कह हारा फिर भी उन्को पार उतारा मेरा अंतःकरन