टेकः मुझे ऐसा वर हे है गुणगान करूँ तेरा। इस बालक के सिर पे गुरु हाथ रहें तेरा ।।
सेवा नित तेरी करूँ तेरे द्वार पे आऊ मैं चरणों की धुलि कौ निज शीश लगाऊ मैं चरणामृत पाकर के नित्य कर्म कॅरू तेरा। इस बालक
भक्ति और शक्ति दो अज्ञान को दूर करो अरदास करू गुरुवर अभिमान को दूर करो नहीं देश रहे मन में रहे गुरु नास तेश इस बालक
विश्वास हो ये मन में, तुम साथ ही हो मेरे "तेरे ध्यान में सोऊ मैं, सपनों में रहो कोरे "चरणों से लिपट जाँऊँ, तुम ख्याल करो, मेरा। इस बालक
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: मेरे यश और किर्ती को गुरु मुझ से दूर रखो इस मन मंदिर में तुम भक्ति भरपूर भहो तेरी ज्योत जगे मन में, नित ध्यान धरू तेरा । इस बालक