योगी कहें या गुरू कहें या कहहूँ सिर का मोर तर्ने। रामचन्द्र और श्री मुळाण की तरह निभाई होड़ म्ने ।। टेन।
पहले ठोकर खाई मधुरा काशी और बनारस में। करी तपस्या पहाड़ में जाकर देवी-देवता हुए बस में। इन्द्री जीती मन रोक्या जाने शेर रोक लिया सररूस में। रंगा हुआ है नाम गुरु का धारी सारी नस-नस में।
झूर-कपट पाखंड का दीन्हा भड़ा तनै रामचन्द्र और 2 ऋद्धि- दिदी इगला पिंगला सुरसती रहती यास तेरे। चुड़ैल डंकिनी भूत मसाने यह सब रहते बास तेरे। ध्यान-समाधि भजन-कीर्तन चलते बारह मास तेरे। "नाम अमर है सारे विश्व में गायेगा इतिहास तेरे। बिन्दु-सिख ईसाई जैनी मिक्षा दिए एक गैर तनै। रामबन्द्र
3: जिला आगरा में देखा है गांवे सचाई बसता। महाप्रभु के दर्शन करके ज्ञान मिला है सस्ता । सिद्ध गुफा में जाकर के मन खुश होकर के हमता ।
पहले समय यहाँ जाने का या बिल्कुल कच्चा रस्ता । "गुरुदेव जी कृपा करी पम्मी बनवादी रोड तने। रामचन्द्र रामचन्द्र और श्री कृष्ण से कार्म नहीं कोई घाट तेरा। सुध-बुध भूल गया तन की जब देखा रूप विराट तेरा। योगी मुहि सब पूजन करते प्राह्मण बनिये जाट तेरा। घर-घर से हो रहा कीर्तन महाप्रभु का पाव तेरा। शर्मा जी का गाने संभाला ब्राहमण कहते गौत्र तर्ने रिम