जरा कलयुग में आओ कृष्णा तेरे भक्तों की तुमसे पुकार है
10 जब होती धरम की हानी तव होता तेरा अवतार है (2)
गंगा जमना का यहाभारत जब व्याकुल होकर रोता था
पृथ्वी से सुरमंडल तक जन जुल्म कंसा का होता था
तन आये कन्हैया दौड़ के कंस पापी को मारा पछाड़ के
१७ ओ गउओं के रखकारे ये गऊरों रुदन मच्चाती है
10 रो रो कर प्यारे मोहक ये निशदिन तुम्हें बुलाती हैं
अब होने लगा अत्याचार है शीश कटता सरे बाजार है
• एक दुपद की लाज बचा कर क्यों मनमोहन से गये भूल
• प्रभु बैठे कहाँ मुख मोड़ के अब आओ कन्हैया दौड़ के
जरा आओ तो कृष्ण मुरारी बस बेड़ा हमाल पार है
इति।