जो करुणाकर तुम्हारा बज में फिर अनतार हो जाये तो भक्ती का चमना उजड़ा हुआ गुलजार हो जाये गरीबों को उठालो साँवरे गर अपने हाथों से तो इसमें शक नहीं कि दोनों का उध्दार हो जाये दुखा कर दिल जो बैठे हैं वो रो रोकर सह कहते हैं किसी सूरत से सुल्दर श्याम का दीदार हो जाये बजादो रसमई अनुराग की वो बाँसुरी अपनी कि जिसकी तान का हर दिल में उजियार हो जाये पड़ी भन सिन्धु के मझधार में दीनों की ये नेया कन्हैया तुम सहारा दो तो बेड़ा पार हो जाये जो करुणाकर तुम्हारा बुज में फिर अवतार हो जाये