है मन में मेरे अभिलाष यही सतगुरु तैरा हो जाऊं में
• हर स्वाँस तेरा गुणगान करे तेरी महिमा सुनूँ सुनाऊँ में ...जब डराया धोर अँधेरा हो तब मन ना, डगमग मेरा हो
• तुम ध्येय रहो में संध्याता बन अच्छा के सुमन चढ़ाया करूँ में
• तुम ही सर्वस्व विधान मेरे नसनाडी, तनमन प्राण मेरे
"तेरी सूरत नैनन निब्बा रहे कण कण में दर्शन याऊँ में
"तुम मुक्ति मुक्ति के दाता हो तुम परमानन्द प्रदाता हो तुम पारब्रह्म परमेश्वर हो तेरे वरनन में रमजाऊँ मैं
2 यदि प्रभु का तबिक सहारा मिले भवसागर से भी किनारा
" जहाँ चन्द्र सा मोहन बास करे चरणों को रज बन जाऊँ में है मन में मेरे अभिलाष