मेरे मन के श्याम मुरारी अंगना मेरे आना
• मोर सुकुर पीताम्बरु धारी मुरली मधुर बजाना
... भाँति भाँति के व्यंजन लाऊँ पुष्य चढ़ाऊँ ध्यान लगाऊँ
देखे बालक राह तिहारी रुचि रुचि भोग लगाना
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"सारखे यन ने अति और मचाई कोड़े काराज करून सुहाई बेगहि आओ रास स्लैया गोपिन रास रचाना (2)
*ढ्ढ़ी मथुरा गोकुल सारी कोंन गलिन गये, कृष्ण मुरारी पतौन पायौ जब गोपिन ने समझि गई बरसाना
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मन में छाई बहुत उदासी लोटी अपने घर को दासी
देख्यौ भीतर कृष्ण कन्हैया माखन सब फैलाना -४-
धन योगीश्वर तेरी महिमा कष्ट निवारबंदावत गरिमा रोम रोभ हरि बोल उठे प्रभु ऐसी तान सुनाना