पहुच्यौ बरसाने में जाइ कन्हैया नत्र के होरियारी बन के होरिया, कन्हैया बन के होरियारौ नाह हाथन पिचकारी लोन्हीं नहीं अबीर की कोरी धूम मचावत फिरत गलिन में कान्हा मतवारी नौल कमल से कर पग सुन्दर अधरन सोहै लाली दूढ़त फिरत महन राधा को जसुदा को प्यारो घोर लियौ गोबिन ने जुरि के भूलि गयौ चतुराई बहियाँ पकार श्याम की सबने खूबहि रंखा डास्यो तब मोहन निज, रूप दिखायो मंत्र, मोहिनी डार्यो गौर वर्ण की सब बुज गोपी श्यामदिरंग डार्यो