मन भूलि मति जइसी गुरुदेव के चरन सद्गुरुदेव के चरन प्रभु देव के चरन जिन चरनन से गंगा निकरी जग का कष्ट मिटाई सोई चरन मेरे सद्गुरु के मीरा उर में लाई भब से तारन हैं तरन गुरुदेव के चरन -१- हुअन चरन के तरी अहिल्या श्रापित मुनि की नारी रामलाल प्रभु चरन पकार ले छूटत बंधन भारी मेटत उर की तपन गुरदेन के चरन जिन चरनन ने रास रचायो गोकुल गाँव मझारी -२- सोई चरन हैं योगेश्वर के जग को मंगलकारी मिलि हैं गीता कै बचन गुरुदैन के चरन जोई चरन कैलाश विराजें आधुतोष भिपुरारी छोड़ हिमालय भू पर आये करी कृया प्रभु भारी देते ज्ञान की तपन गुरुदेव के चरन जिन चरनन में शबरी रम गई छूटे बंधन सारे नहीं चरन हैं योगेश्वर के श्री गुरुदेव हमारे पाने शान्ती की शरण गुरुदेव के चरन