राधा दधि नेचन को जब
गालेन आबाज लगाईरे
पहली टेर सुनी कान्हा ने
मग रोकन को आयो
नयाँ झटकि पट कि दे
मटकी भूमि गिराई रे
कह्यो राधिका सुनहु कन्हैया
जसुमति उलहन देहों
मगरोकत तेरी कुँवर लाडिलौ
रारि मचाई रे
जो तुम मैया को उलहन देहो
गोकुल जान न देंहों
छीनेिधरी मोरी काहे बसुरिया
तें हरजाई रे
इतनी कहि दोऊन मिलि शान्ती
संधि कराई रे