मेरे मनुओं में बास गये प्रभु रामलाल
योगेश्वर गंडा जी के नन्दन
समरधनान सकल जग बन्दन
काटत कष्ट कराल
मेरे
विश्वेश्वर हो जगत विधाता
सर्वेश्वर जय सिध्द प्रदाता
महिमा विशद विशाल
मेरे
आखलेश्वर जय हे जग स्वामी
घट घट बासी अन्तरयामी
टारत जन के काल -
मेरे
तुमही माधव मदन मुरारी
सिध्देश्वर तुम हो त्रिपुरारी लिपटि रहे तन व्याल -
मेरे
रामरती पर कृपा लुटाई
परमधाम कार दियी संवाई
छोरत माया जाल
मेरे