प्रथम गणपति तुम्हें मनाऊँ मेरे काटो सर्व क्लेश। --- टेक
मैं भिक्षुक तुम हो दाता तेरे द्वारे हाथ फेलाता।
तुम्हीं पिता हो तुम्हीं माता गहता चरण हमेश।। --- १
दीजो दान आस कर आया चरण तेरे में ध्यान लगाया।
मैं निर्धन हूँ तुम हो माया सुनों मेरा सन्देश।। --- २
मैं मूरख तुम हो दानी शरण पड़ा प्रभु तेरी आनी।
मेट देयो मेरी परेशानी रहता तुम्हारे देश।। --- ३
तुम ही बन्धु तुम ही भाई तुम ही करोगे मेरी सहाई।
छोड़ मुझे कहाँ को जाई मांगू ज्ञान उपदेश।। --- ४
करते आप सभी की रक्षा मैं मांगू ज्ञान की भिक्षा।
जो करती रह सदा ही रक्षा मेरे मेटो पाप क्लेश।। --- ५
ब्रह्मा विष्णु पालन हारे सबके हो तुम ही रखवारे।
आशा करत हैं जग सारे हो आत्म ब्रह्म महेश।। --- ६
योगी चन्द्र मोहन का नारा सत्यगुरु का मिल जाता सहारा।
अमीरानन्द से नाहै न्यारा संग में रहता हुमेश।। --- ७