गुरू शरण तेरी मैं थाया हूँ मन राख लीजिए मेरा। --- टेक
भाग मेरे को आप ताक लो शरण पड़े की लाज राखलो।
योग कम की मुझे शाख दो बांध ज्ञान का दो सेहरा।। --- १
अज्ञान कारण फिरूं भटकता अध भर में मैं रहूँ लटकता।
गुरुचरण में तेरे मैं शीश पटकता मेटो मन का अ घियारा।। --- २
हृदय मेरा मेला हो रहा भाग मेरा तो पड़ के सो रहा।
ये जीवन को मेरे खो रहा ले लिया अब तेरा सहारा।। --- ३
शरण तेरी में मैं रहता हूँ हाथ जोड़ कर मैं कढ़ता हूँ।
विन पानी के में बहता हूँ देखो करके ध्यान अरा।। --- ४
तू ही मेरा है एक रखवाला रट्ट तेरे नाम की मैं माला।
दोख जाये जो उजियाला आत्म का प्रकाश जरा।। --- ५
गुरु चन्द्र मोहन साघन सीखलादो योग माग की राह बतला दो।
असीरानन्द को पार लखा दो बांध ज्ञान का दो सेहरा।। --- ६