जीवन बीत गया है सारा सब मतलब की बात करी। --- टेक
लूट मार कर धन कमाया इतना भारी पाप कमाया।
दिल अपने को न समझाया ऐसी आत्म घात करी।। --- १
ऐसी बनाई महल अटरियां सर धरली है पाप गठरिया।
वाँध लई है भेंस कटरिया सब पापों की नाव भरी।। --- २
समझ लिया है तूने प्यारे सब ही हैं यह कुटटम हमारे।
बोलन लागा ऊँचे नारे सदा गरव की बात करी।। --- ३
ऐसा तूने ढंग रचाया जाने मुझे यहाँ से नहीं जानां।
अपना वक्त नहीं पहचाना बातें करतां बुरी बुरी।। --- ४
गुरू चन्द्र मोहन ना कहते झठी किसमत बन्दे तेरीं फूटी।
अमीरा नन्द ने खाली द्ूटी गुरु शबद की रस भरी।। --- ५