इस जीवन का परचा निकला जब चलने की बात करी। --- टेक
यमराज ने जब जा पकड़ा बाँध हाथ तो जब जा जकड़ा।
फिर तो तू ना ही अकड़ा ना ते कोई बात करी।। --- १
नकशा निकला तेरा सामने फिर तो तु लगा हैं कांपने।
मार दिया तुझे तेरे काम ने पिछली बात फिर याद करी।। --- २
पड़ा कप्ट तो याद करे है फिर राम नाम में ध्यान धरे है।
तेरी मेरी ना ही करे है पछताने की बात करी।। --- ३
यमराज का डण्डा बरसे फिर तो खाने से भीं तरसे।
देख देख के माया तरसे करनी तूने आप भरी।। --- ४
मुश्क बन्धा नव तो खड़ा है काल शीश पर आन चढ़ा है।
बेड़ा पाप का तेरा पड़ा है चढ़ने की जब बात करी।। --- ५
हुटक हुटक तू रोवन लागा अपना जीवन खोवन लागा।
आंसू से मुख धोबन लगा लग रहीं जब नन झड़ी।। --- ६
गुरु चन्द्र मोहन कहते हैं सच्ची बात कहें ना कभी कच्ची।
अमीरानन्द को लगती अच्छी पुरण मेरी आस करी।। --- ७