अच्छे कम का अच्छा फल है यही स्वग कहलाता। --- टेक
भजन करे है राम नाम का वक्त पहिचाने सुबह शाम का।
नहीं ख्याल करे है कभी काम को नहीं मन अपने को लहलाता।। --- १
करे शन्ति मगन रहा है उस प्रभु की लगन रहा है।
जोती भात्म की जगन रहा है मन आत्म में लहराता।। --- २
अच्छा खाना अच्छा पीना अच्छा रहता है जीना।
कभी नट्टीं चलता है वह हीना सभी दुखों को सह जाता।। --- ३
जिसने अपने को समझ लिया है सत्य का जिसने पान किया।
नहीं मन पर रमान किया है सन्तों की संगत नित्य पाता।। --- ४
अच्छी जगह पर वास करेगा सब पापों का नाश करेगा।
भजन स्वांस ही स्वांस करेगा दास प्रभु का कहलाता।। --- ५
तेरी मेरी में ना फंसता है बुरे कम में नां धंसता है।
यही स्वग का तो रस्ता है नहीं कभीं वह बहजाता।। --- ६
गुरु चन्द्र मोहन की वानी सीखो कभी ना भटकाओ जी को।
असीरानन्द गावें भजन को आत्म बोच लहराता।। --- ७