संसार वीच में फिरता रहगा कभी न होगा छुटकारा। --- टेक
करन लगे जो तेरी मेरी आवागमन की होगी फेरी।
मन को ना रुकती है डोरी हरदम फिरता बाहरा।। --- १
इच्छा वढ़ी रह जो भारी अपनी करता रहेगा ख्वारी।
जन्म जन्म की मिले बीमारी संसय का हैं जग सारा।। --- २
मतलब को रहा हैं जोही अपना ना है यहाँ पर कोई।
किस गफलत में तू सोई वह नरक में क्यों गहरा।। --- ३
सोच समझ कर कदम उठा ले अपनी जीवन जोत जगाले।
गाना गुरु चन्द्र मोहन का गाले अमी रानन्द कर तु लहरां।। --- ४