गुरु चन्द्रमोहन की आओ शरण में मिटजागी सब परेशानी। --- टेक
शब्द गुरू का हैं उजियारा खोल देवे है हृदय का ताला।
घुल जाता हैं दाग भी काला ना होती है फिर हानि।। --- १
जो कोई गया है गुरु शरण में साथी रहते मरण जीवन में।
जो रहेगा अपने प्रण में कभी ना करेगा नादानी।। --- २
आत्म का प्रकाश दिखादे भव से जल्दी पार लखादे।
सत का जब पाठ पढ़ा दे छुटजागी सब परेशानी।। --- ३
शिक्षा गरु की है उजयारो वचन कभी ना जागा खाली।
वक्त नहीं खोते हैं ठाली बन जाता है जाकर ध्यानी।। --- ४
गुरु हमारे कह गये गा के अमी रानन्द को कह गये समझा के।
हरि भजन में गये लगा के गये छुटा सब नादानी।। --- ५