पांच तत्तव का यह पुतला है मत इनका अभिमान करो। --- टेक
पांच भूतों के यह चोले है नो दरवाजे इसमें खुले है।
सब पानी के बुल बुले है इस की कुछ पहचान करो।। --- १
जैसे आस द्व्दा डलजा तेरी काया तो यों गल जा।
इस मिट्टी में तो मिलजा इसका मत अरमान करो।। --- २
हाड़ मांस का वना यह पिजरां इनमें सांस चले है इनजरा।
इसे देख के तू क्यों खिजरा इस का तो कुछ ज्ञान करो।। --- ३
रक्त मेदा इस में है गन्दा सभी काल का है यह फन्दा।
तू क्यों बनता मुरख अन्धा इस पर तो कुछ ध्यान करो रथ।। --- ४
गुरु चन्द्र मोहन हमारे समझागे शरण गये तो ज्ञान बतागे।
अमीरा नन्द भजन को गागे गुरू भक्ति में ज्ञान करो।। --- ५