थी ब्राह्मण कुल कीं नारी ब्राह्मण कुल की नारी। --- टेक
जन्म लिया था अच्छे घर में डूब चलो थी वह अध मर में।
चर्चा रहती थी नर नारी मैं थी वह बुरी कल ही यारी।। --- १
फिरती थी मारी मारी कोई शक्ति ना थी प्यारी।
सर धरी पाप की जारी थी दुख में काया सारी।। --- २
कम करें थी खोटा समझे ना थी बड़ा छोटा।
था ही धरम का टोटा बुद्धि भृष्ट थी सारी।। --- ३
थी मस्त बुरे कम में हानि थी पूरी धम में।
इज्जत मिसती थी धरन में ली बुरी नियत सर धारी।। --- ४
गुरु चन्द्र मोहन तो गाते अमीरानन्द को समझाते।
सत का पाठ पढ़ाते कहें सत का शब्द उचारो।। --- ५