जब दुख के वचन उचारे दुख के वचन उचारे। --- टेक
क्या करें पार ना पानी इब्जत रुलती आती।
मारें ताना गोती नाती सब विघ्न काम में डारे।। --- १
मेरे ऐसी कन्या जायी जीवन की करी सफाई।
हम को रहे यह रुलाई खोटे वचन उचांरे।। --- २
सर गठरी पाप की धर री ना यह किसी से डररी।
अपनी बुरी दशा कर री वह दिन पाप उचारे।। --- ३
तू राम रती क्या करगी तू होती क्यों ना मरगी।
मेरी फट छाती भरगी चली नेन जल धारे।। --- ४
कह चन्द्र मोहन यह वानी पड़ेगी यह मुसीबत ठानी।
कहें अमीरा नन्द कहानी सन्त के बचन उचारे।। --- ५