तुम अपना माग ले लो अपना मार्ग ले लो। --- टेक
तुम हमको क्यों सताते हम क्या तुमको बतलाते।
हमें वचन नहीं कुछ भाते तुम रस्ता अपना ले लो।। --- १
हम अपने दुख में पड़ रहे तुम क्यों म्हारे से लड़ रहें।
सहारे कर्म सभी अड़ रहे तुम्हें जाना जहाँ जा लो।। --- २
कोई बात नहीं कहने की यह जिन्दगी सदा नही रहने की।
ये नहीं थी म्हारे लहने की कुछ होता ना गाल बजा लो।। --- ३
जो होना था वह हो गया भाग हमारा पड़ कर सो गया।
ये अमी रानन्द भी रो गया शरण गुरू चन्द्रमोहन की पा लो।। --- ४