योगी गये सबको समझाये दुर्गा रूप इसे जानो। --- टेक
मानो सतत का वचन हमारा।
बहेगी यहां पर सत को धारा।
वक्त राम रती का टारा।
यहां पाप सभी कट जायें यह कहन हमारा मानो।। --- १
कट गई इसकी कर्म गति जी।
यह तो हो गई सत की सती जी।
इसमें ना है झूठ रती जो।
मसे रहें है समझाये तुम हृदय बीच में ठानो।। --- २
अब ना टै ग्रह पापन नारी।
इच्छा पूरी होगी थारी।
इसकी गई सब बीमारी।
इसका संकट दिया मिटाये तुम सुन लो सब कानों।। --- ३
ह रहेगी अपने ध्यान में।
जैसे रहती तेग म्यान में।
यह तो निकल गई है शान में।
यह गई गोता लाई इसे योग की शक्ति जानों।। --- ४
योगी तो इसे समझाते है।
सत का पाठ सिखलाते हैं।
राग इस को अब ना आते हैं।
गुरू चन्द्र मोहन समझाये भमी रानन्द तुम भी पहचानों।। --- ५