जब प्यादें सत का नीर गुरू हमारे प्यादें सत का नीर। --- टेक
सत का नीर मिले सत संग में योगी आजा योग के रडज़ में।
मिले शान्ति भक्ति उमंग में जब होजां सरद शरीर।। --- १
अमृत पान प्रेम से करजा शब्द रूम रूम में भरजा।
सत की नाव पर चढ़ कर तरजा जब बोले शब्द गम्भीर।। --- २
जपले शब्द पाप ही धुल जा पाठ तेरे हृदय का खुल जा।
वाणी ले सत गुरु की तुलजा तेरी कट जां यम जंजीर।। --- ३
गुरु चरण की गंगा नहाले मन अपने को तू समझाले।
सुरती उस प्रभो से लाले जा धर चरणों में सिर।। --- ४
चन्द्रमोहन गुरु वचन उचारे योगीराज जगत से न्यारे।
अमी रानन्द को हर दम प्यारे दिया भक्ति में रज्धशरीर।। --- ५