गुरू ने धोया मन का दाग धोया मन का दाग। --- टेक
लगे सतगरू के बचन करारे खुल गये भाग हमारे।
हमारे हैं प्राणों के प्यारे मैं गई सोती जाग।। --- १
धो दिया दाग मेरा कॉला दीख गया उजियाला।
मैं जपु उसी की माला ना भाता है कोई राग।। --- २
मेरा मेल उतर गया सारा मेरा खोटा वक्त टारा।
जब अ।कर दिया उबारा मेरी लगी प्रभु से लाग।। --- ३
आत्म का प्रकाश दिखाया ना दीखे संसारी माया।
सब पापों को नाश कराया दिया जलां बीच आग।। --- ४
रामरति की मिटी उतपाती रामलाल हुये हैं साथी।
याद गुरु चन्द्र मोहन की आती खुले अमीरानन्द के भाग।। --- ५