सौतन बन मन में खटक रही।
मनमोहन तेरी बांसुरिया॥
हम तो चरणों में पड़ी रहें।
ओठों पे बिराजे बांसुरिया॥
दिन रात चरण दबवाती है।
इतराए बैरन बांसुरिया॥ --- १
राधा को पीतर से सारी।
ना बात करे नटनागरिया॥
होठों पे बैठ चुपके-चुपके।
करती है बात ये बांसुरिया॥ --- २
दिन रात बजे ना चैन पडे़।
कैसे प्राण बचे हाय दैया॥
टुकड़े-टुकड़े करके इसके।
दरिया में बहाए दूँ बांसुरिया॥ --- ३
मुरली बोली सुन लो सखियों।
मैंने कष्ट सहे कितने हैं यहाँ॥
माँ बाप तजे तन छेद किये।
तब मिले पति मोहे सांवरिया॥ --- ४