सूनोगे प्रेम भोर दिल से सितारा बया बजाता है।
मिलेंगे तार जब इसके यह अपना रंग उड़ाता है।। --- टेक
समझ कर याद इसको यह क्या कह रहा।
वक्त तेरा तो अब थोड़ा रह रहा।।
घर पापों की गठरी सर क्यों वह रहा।
देख लेकर गोर अब भी मैं कह रहा।।
निकल जागा समय फिर तो हाथ ना ही आता है। --- १
क्यो विगाड़े तार को करता है न्यारे न्यारे।
ले संभाल वक्त को क्या सोता है पैर पसारे।।
समझ ले जो तू रंग को तुझको दे उभारे।
तुझे रहा जगा आप ही तू जाग प्यारे।।
मेरी तू देख ले और साज ऐसा बजाता है। --- २
उठे तरंग ओरेमु की तू ओरेम ही गाले।
फिरे तू ढूँढ़ता जिसको हृदय बीच में पाले।।
अज्ञान का मेल तु ज्ञान से धोले।
सत गुरु की जा शरण तू सहारा तू उसका ले ले।।
मिलेगी शान्ति तुझको बैठ सतसंग में पाता है। --- ३
मत करे गुमान इस सितारे का।
टूट जागा तार एक दिन त्रिचारें का।।
कोई ना दे साथ तेरे कुट्म्ब सारे का।
फिर करे न कोई इस विचारे का।।
जिसे तु तू देख कर मन में अपने लुभाता है। --- ४
पढ़ेगा पढ़ सत गुरू का कोई योगी जान ले।
निकलती धूनी उसको अन्दर से मान ले।।
हुआ प्रकांश जो जिस का कर उसे ध्यान ले।
गुरू चन्द्रमोहन की ले सरन सुन उसका ज्ञान ले।।
अमीरानन्द करे ध्यानी शबद जहां सोहम का आता है। --- ५