युग युग में अवतार लियो भक्तन को तुम पार दियो है।
धरणी भार बढ़लो जब भारी दुष्ठन को संहार कियो है।।
सत्युग में नर नारायण बन मधु केटव को मार दियो है।
त्रेता में श्री राम बन प्रभु द्वापर कृष्ण मुरार भयो है।।
कलियुग देखी हानि धर्म की रामलाल अवतार लियो है।
हे कैलाशी हे अविनाशी हमने तेरो द्वार लियो है।।
रामरति सी पापिन नारी मोहन वर क्यों वार कियो है।