तर्ज - कजरा है मोहब्बत वाला
तेरी भगती का प्याला कर देता है मतवाला प्याला निराला भगवान कर देता है गलतान
सीरा ने इसको पीया तेरा सहारा लेके राणा ने सेवक भेजा नाग पिटारा देके वो बन गया सोहन साला-तेरा इशारा लेके राणा पै धूल पड़ी वुन्दावन झूम पड़ी गाता है सारा जहान
श्रयत प्रहलाद देखो गिरी से गिराया यया शेरों के आगे फेंका जहर पिलाया गया होली सें जलाया गया, थम्म से लिपटाया गया चित्त ना भगत का डोला नाम तेरा अनमोला मारा दुष्ट बलवान
तुलसी ने इसको पीके दुनिया को ज्ञान दिया रामायण उसने लिखी भक्ति का भण्डार दिया माया से दिल हटा के श्रीचरणों में ध्यान दिया दिल में बिठाली झाँकी देखी अदाएऐं बॉकी कर दिया जन कल्याण
है तेरे प्याले को पीके नरसी को वैराग हुआ
भक्ति का अंकुर फूटा सांवरिया मेहर हुआ
हुण्डी का कर्जा तारा बरसी का भोज दिया
श्यामल की बरात लाया
ननन्दी का भात भराया
किया सोक्ष प्रदान
बजरंगी ने प्याला पी के राम जी का शरणा लिया सौ योजन सागर को पल भर में पार किया माता की खोज लगा के राम जी को हर्षित किया लंका जलाई गई संजीवनी लाई गई उभारे लखन के प्राण
गुरू जी ने इसको पी के दुनियाँ को योग दिया जीवन तत्व करा के रोगों का निदान किया खुद का नाम भुला के प्रभु जी का नाम लिया गुफा की रज चटा दी अधम को गीता पढ़ा दी कोटि-कोटि प्रणाम