कृष्ण काले बंसरी वाले दे दो गीता ज्ञान प्रभु जी मैं शरण पड़ा
तुस ही ब्रह्मा तुम ही विष्यु साक्षात् महेश्वरा सुर नर सुनि जन करें आरती सब ग देवन के हनन अर्जुन तुम ही कृष्ण मात यशादा क ला
ज्ञानी के ज्ञान तुम्हीं ध्यानी के ध्यान तुम्हीं रवि और चन्द्र तुम्हीं तीन लोक में प्रकाश तु्म्हीं
घट घट के हृदय वासी आदि मध्य और अन्त तुम्हीं सब देवन में इन्द्रदेव हो यमराज और कुबेर तुम्हीं समर्पण आगे झुक जाते हो फिर भी हो निष्काम
सब रूद्वों सें शिवजी तुम्हीं शेष नाग और पाताल तुम्हीं ऐरावत और गरुण तुम्हीं कर्म योगी का कर्म तुम्हीं आत्म रूप हो सब जीवों सें योग क्षेम के भण्डार
रूप रस और गन्ध तुम्हीं तीनों गुणों का सार तु्हीं बल बुद्धि और तेज तुम्हीं कामघेनु और कुबेर तुम्हीं श्रद्धा भक्ति तप बल तुम हो हे निर्बल के बलरास
वेदों में तुम श्याम वेद हो, नदियों सें तुम गंगा हो चार धाम के अधिपति हो, सिद्ध गुफा के बाबा हो विराट रूप 'अधस' को दिखा दो हे अर्जुन के रथवान