हे योगिराज श्री चन्द्रमोहन हमें प्यारा तेरा नाम प्रभु पारब्रद्या परमेदवर तुम्ट योगीश्वर सार प्रभु
शक्ति का भंडार तुम्हीं हो सब जग का आधार तुम्हीं शडर का हो रूप तुम्हीं और राम कृष्ण अवतार तुम्हीं पिता समान ही रक्षा करते और माता का प्यार तुम्हीं सबकी जीवन नया के प्रभुजी हो खेवन हार तुम्हीं हर लते हो पीड़ा तुरन्त जो लेवे तेरा नाम प्रभु
समदर्शी हो घट-घट बासी चारों वेद के ज्ञाता हो रिद्धि-सिद्धि के देने वाले भाग्यों के निर्माता हवा जड़ चेनन प्रति पालक हो और सृष्टि के उपजाता हो सुखों के तुम हो देने वाले दुखों के तुम्ड्री विधाता हो तू ने कृपा की हष्टि से मुर्दों में डाली जान प्रभु
भूले भटके एक बार भी जिसने तेरा नाम लिया भोलेनाथ ने देकर उसका है कल्याण किया शरण में आये पापी का भी तुमने उत्थान किया पथ विरक्त लाखों पुरुषों को मार्ग सच्चा दिखा दिया दुष्ट कुकर्मी डाक होवे हृष्टि कृपा बरसाते प्रभु
रजो-तमों में जग डूबा सतोगुणी अवतार हो तुम धरते रूप अनेकों प्ल-पल निराकार साकार हो तुम एक दिसम्बर सन् त्रैपठ को योग सम्मेलन धारो तुम योगिजन सरकार देश से मान प्रतिष्ठा पाये तम स्वरूप हो प्रभु रामलाल के तेरी अनोखी शान प्रभु
योग कला के रंग में रंग दे हाथ जोड़ वंदना तमसे काम क्रोध मद आदि का व्यवहार समाप्त हो हमसे तेरी कृपा से छूट हैं जाते जन्म-मरन के चक्कर से जीवन नेया लगती किनारे तेरा सहारा पाने से पतित ओस तेरी शरण में आया बेड़ा लगादें पार प्रभ