भन कै मोहन रयाम मेरे अँगना मोर आना मोर मुकुट पीताम्बर धार मुरली अधर बजाना
साति-भाँति के व्यंजब लाऊँ पुष्प चढ़ाऊँं होम लगाऊँ देखे बालक राह तिहारी रुचि-रुचि भोग लगालपय
सखियन है अति भीर मचाई छोड़े कारज कछु न सुहाई आओ जल्दी रास रचेया गोपिन रास रचाना
छानौ मथुरा गोकुल सारी कौन गली हैं नये मुरारी तो न पायो जब गोपिन ने समझ रहीं बरसाना
मन में छाई बहुत उदासी लौटीं घर को अपने दासी देखो भीतर क्ष्ण कन्हैया माखन सब फैलाना
प्रति गोपी संग क्ष्ण सुहाये खायों माखन घर में छुपाये सुध-बुध भुली हर एक अपनी मोर भये अब कान्हों
प्रसिद्ध योगीश्वर तेरी महिमा कष्ट निवारे भक्तन गरिमा रोम-रोम ओम बोल उठे ऐसी तान सुनाना