हे रामा पुरुपोत्तमा नर हरे नारायणा केशवा गोविन्दी गरुड़घ्वजा गुणा निधे दामोदरा माधवा हे कृष्णा कमलापते यदुपते सीतापते श्रीयते बेंकुणठाधिपते चराचरंपते लक्ष्मीपते पाहिमान आदौरांम तपोबनादि गबनं हत्वा “मूंगा कांचनस् वेंदेही हरेणे॑ नटाऊ मरणं सुग्रीव संभापणुम्: वाली निदंलजं संप्रन्द्र तरणं लेंकापुरी दाहनम्: परचाद्रवंश कुम्मकण हनन ऐतड्रि रामोयणम् संकंल सुर्मगल दायक कि म रघुनायक गुणगान सौदर सुनति ते तरंहि भव ससिन्पु बिना जलजान