तुम्हीं मन के मन्दिर में कृष्णमुरारी।
पुजारिन तुम्हारी तुम्हीं देवता हो।। --- टेक
सहारे तुम्हारे ये जीवन नैया।
खिवैया तुम्हीं हो तुम्हीं देवता हो।।
अज्ञान तिमिर को प्रभुजी मिटा दो।
सोऽहम की ज्योति मन में जगा दो।।
बसे हो हृदय में मोहन मुरारी। --- १
हमें सत के पथ पर चलना सिखा दो।
प्रभो योग साधन में जुटना बता दो।।
तुम्हीं प्राण भक्तों के पुर्ण अवतारी। --- २
झूँठे जगत के ये बन्धन हैं सारे।
छुड़ा दो प्रभो अब ये बन्धन हमारे।।
तुम्ही मोक्ष साधन हो त्रयताप हारी। --- ३
तुम्हीं राम तुलसी के गाये हुए हो।
तुम्हीं सूरसागर में छाये हुए हो।।
मीरा के गिरिधर नागर मुरारी।। --- ४
श्री सिद्धगुफा के बासी तुम्हीं हो।
हे! 'तरफेश्वर' मेरे स्वामी तुम्हीं हो।।
तुम्हीं 'चन्द्र' मेरे 'मोहन' मुरारी। --- ५