सुना है पतितों को तारते हो मुझे भी तारो तो मैं भी जानूँ। --- टेक
मुझ से अधम को गले लगालो पतित उधारन तो मैं भी मानूँ।।
योगीजनों के आराध्य प्रभुजी।
भक्तजनों के आधार गुरुजी।।
विराजो घट में मेरे हरदम रहे मन आनन्दित तो मैं भी जानूँ। --- १
ऋद्धि सिद्धि के आप हो स्वामी।
शिवसनकादि के हो अन्तर्यामी।।
गुरुजनों के भी सद्गुरु प्रभुजी करो मन प्रकाशित तो मैं भी जानूँ। --- २
सिद्धों के भी सिद्ध कहाते।
कर शक्तिपात ध्यान लगवाते।।
हाथ पकड़कर मुक्त कराते मुक्त हमें भी करो तो जानूँ।
ध्यान हमारा लगे तो मानूँ। --- ३
रामरति से पतित उबारे।
अधम भी बन गये भक्त तुम्हारे।।
अचल करो श्रद्धा मेरी भगवन प्रेम जो तुम से बढ़े तो जानूँ। --- ४
शरणागतों के एक सहारे।
पततित उधारन आप पधारे।।
द्वार पै आये दयानिधे हम दया तुम्हारी मिले तो मैं भी जानूँ।
मुझे निभाओ तो मैं भी जानूँ। --- ५
पूर्ण सिद्ध हैं योग योगेश्वर।
भाग्य पलट दें विश्व के ईश्वर।।
मिले जो तुमसे सद्गुरु हमारे भाग्य जो मेरे जगें तो जानूँ। --- ६
कलियुग में पाये जो चरण तुम्हारे।
भारी यह आशा मन को बँधाते।।
जरूर होगा निस्तारा मेरा नियम तुम्हारा यह मैं भी जानूँ। --- ७