अलुपुर वाले सतगुरू प्यारे दो ऐसा वरदान में योगी बन जाऊ । सटवाई वाले प्रभुजी प्यारे दो ऐसा वरदान में योगी बन जाऊ !!
भजन कुछ आता नहीं, कैसे योग कमाऊ में
ध्याम भजन कुछ
पाच लुटेरे पीछे पड़े कैसे जान बचाऊ वेद, पुराण, धर्म, शास्त्र सब से हूं अनजान में योगी बनजाऊ
मै ।।
अलुपूर काम कोध मेरे
बस में नहीं कैसे ध्यान लगाऊ मैं। मोह माया में फंसी हुई कैसे तुमको पाऊ में !! तेरी माया से मैं तो हारी, मैं बालक नादान, में योगी बन जाऊ-
अनुपूर मीरा जैसी भक्ति नहीं विष प्याला पी जाऊ मैं। तुलसी जैसी निष्ठा नही श्यामकराम बनाऊ मैं ।। 13
केवल अपने मन में च्याऊ, गुरु रूप भगवान मैं योगी बन जाऊ
अनुपूर
प तेरी कृपा हो जाए तो भाट योगी बन जाऊ मैं!
अर्जुन की तरह मेरे प्रभु तेरा दर्शन पाऊ में !! कर दो कृपा भक्तों पर अपनी दो गीता का ज्ञान मैं योगी--
अनुपूर वाले सवाई वाले