तन भी अर्पित मन भी अपित सवंस्थ समर्पित है तुमको मंझधार तजो या पार करो पतवार समर्पित है तुमको
सब जीव तुम्हारे अंश प्रभो सब पर अधिकार आपका है हम भूल गये जग माया में नदवर संसार आपका है सौंपा जो मार्ग आपने था उस पर न चले पथ छोड़ गये नादान समझना तुम हमको प्रभु चरणों से मुख मोड़ गये अब चरण शरण अपनी लीजे अधिकार सर्मापित है तुमको
मद लोभ मोह नहिं त्याग सके बस क्रोध के काम अधीन हुये करुणा ममता हिय वास नहीं हम झूठ में आज प्रवीण हुये तुम शरणागत वत्सल कृपालु समझो अबोध जड़ क्षमा करो सब भले बुरे बालक तेरे अवगुनी जान कर दया करो 'त्रज' सेवक आप महान प्रश्न मचुहदार समपिंत है तुमको