इस मकान आलीशान का क्या देते हो आप किराया कया तुम उसको जानते जिसने इसे बनाया
ईदवर भक्ति किराया इसका मकान मानव काया स्वयं सदाशिब मालिक इसके सुरख उन्हें शुलाय
इतना सुन्दर यह बंगला है देव लोक शरमाया आय बसे हो इसके अन्दर अब तक नहीं जुकाया
सुख सुविधा में इतने भूले मालिक याद न आया सुल के साथ ब्याज भी बढ़ गयी भारी हुआ बकाया
अव मालिक बिल्कुल नहिं मोन ऐसा हुकम सुनाया पल में खाली करना होगा सब कुछ होय सफाया
अब तो संदुगुरु ही ऐसे है तेरा करे निभाया ओट पकड ले श्री सदुगुरू की इतना क्यो घवड़ाया
छाया पाकर गुरु अपने की सब कुछ क्षमा किया गुरव र ने
लजी को बड़े भाग्य से आया जीव शरण प्रभु रामल कृपा प्रसाद प्राप्तकर उसने मोक्ष परम पद पाया
मन ही मन हर्षाया उर दीपक दिव्य जलाया