कब प्रभु जी को वग्या करना है कौन करमगति जानी कुछ सुनलो अजब कहानी
सत्य हरिइ्चन्द्र सुख से सोए पलक खोल प्रातः जब देखा छोड
संग तारा पटरानी ड चले रजधानी कौशल में बीरानी
चौदह बरस हुआ बनवासा शष्द नहिं जानी
सीता हरण मरण दशरथ का मुनि वर्र
की ठानी ली साथ द्रोपदी रानी
पांचों पाण्डव अतिबल श हो गयी भूमि विरानी
हाथ का पाँसा शिरा धरनि पर
निर्धन विप्र सुदामा की भी भिक्षा में पकडा दी उसको
रामरती एक दुराचारि थी शक्ति पात कर उसे बनाया
हालत जाय न बखानी सब बेकुण्ठ निशानी
मदिरा की मस्तानौ देवी पूज्य भवानी
गिनती नहीं कथाओं की सद्गुरु से सुनी जवानी किया योग परिपूरित सबको ऐसे औगढ़ दानी
सवांई धाम आवास बनाया सिद्ध योग की वाणी सिद्ध गुफा की पावन रज में भरी शक्ति मनमानी
श्री चन्द्रमोहन महाराज रूप में हैं अद्भुत वरदानी शरणगत हो-हो कर उनके लोग बने सब ध्यानी