कसे बौठे हो आलस में प्रभु को नाम जपो नहिं जाय नाम जपों वह काम करो जामें आपो जाय समाय
नाम न होय वदनाम प्रभु को पल-पल करे सहाय नाम संजीवन अमृत बूटी भक्त लोग लेऊ खाय
ज्ञान कपाट नाम से खुलते सातों स्वर्ग लखाय जपनजप नाम वृद्धा ऋषि बन गए वड़े-बड़े मुनिराय
मरा-मरा जप वाल्मीक ने बवृहम ज्ञान लियो पाय भरि मन मोदनाम को जपलो मोक्ष सुलम हो जाय
जो भरि सुड़ि रही जल ऊपर कृष्ण कहीं बिलखाय नंगे पैरों दौडे आय गज को करी सहाय
नाम लेत प्रहलाद बचाए नरसिह रूप बनाये नाम प्रभाव लखो मीरा ने विष असृत बन जाय
आरतं पुकार द्वोपती की सुन दौनो चीर बढ़ाय क़ोधी मुनि दुर्वासा से भी पाण्डव दिए वचाय
नाम जपों रेदास भक्त ने झोली दी फलाय सतत गायव मन्दिर से हो गयी बेठे गोपी आय
नाम सहारे नरसी बैठ मन में ध्यान लगाय ननागढ़ में भात भरि दियो हन्डी दई बरसाय
नाम अजांमिल से खल कोटिन स्वर्ग दिये पहुँचाय कलियुग में आधार नाम को तुलसी कहि गए गाय
नाम दीप धरि लेऊ हिए में अन्तर ज्योति जलाय वाहर भोतर होय उजाला अन्धकार मिट जाय
नाम करिदमा सिद्ध गुफा पर प्रभु जी धरो जमाय चाटि-चाटि उस पावन रज को पतित परम गति पाय
श्री चन्द्रमोहन महाराज प्रभुजी चरणों लेऊ लगाय अखण्ड ज्योति प्रभु रामलाल जी तन-मन में बस जाय