प्रभो आप मुझसे यों रुकसत न होना अभी मैने जी भर के देखा नहीं है घडी-दो घड़ी दस घडी की तो क्या है जनम-जनम को भी परवाह नहीं है
ये मन की तड़प और तन को तपन भी मुझको बेजार कफी बनाए हुए है कृपा का करिदमा बनाए ही रखना करम गति का मुझको भरोसा नहीं है
किस तरह की ये किल्लत मुझे लग रहीं है जो तेरे पास आने से रोके हुए है नजर मेरी ऐसी चुराई हुई हैं किः पाया पछ़ि दीदार पतेरा तहीं हैं
न समझा है कुछ भी न जाना है कुछ भी बड़ा वे अकल हो के जीता रहा है किस जगह पर है घर तेरा मालुम नहीं है उस डगर को अभी मैंने देखा नहीं है
किये कम अच्छे बुरे मैंने कितने किये किस लिए यह तो सोचा नहीं है मैं तो मदहोश ऐसा हमेशा रहा हूं पीछे मुडकर अभी तक तो देखा नहीं है
योग क्या है करन कंसे किस भांति होगा मन में संयम बनाना तो आया नहीं दै चरण रज में कंवे मिले यह अधम नर ह तरीका अभी तक तो सीखा नहीं है
किस जनम का करम फल उदय हो गया है जिसने लाकर के तेरे हवाले किया है हे गुरुदेव मुझको सदा साथ रखना इस अंधेरे का गुरु को तजुर्बा नहीं है