साधो सुनो ज्ञान का सार तुमसे कहूं ज्ञान विस्तार संसय तजौं ध्यान से सुनलो ज्ञान से करों बिचार एक झलक सतगुरू की पावे रहे न कोइ विकार
प्रवचन सुनो वेद पढ डाले पाया कहीं न पार श्री सद्गुरू में ब्रक्ष विराजे हो करके साकार
सोम्य शान्त रूप प्रिय दर्शन आत्मीय व्यवहार चरण कमल हो अविरल बहती मोक्ष गंग की धार
गुरु चरणों कीं सेवा करतो वने मुक्ति आधार कृपा लाभ से बंचिंत होकर होना नहीं विस्तार
संत समागम किया रात दिन सोचा बारम्वार विन सद्गुरु के विरति न होवे बांको सब वेकार
सद्गुरु राखे शरण बिन सदगुरु कछू के साधों सुनो ज्ञान पार पड़े नहि धरम राज हाथ कपा का सिर पर रख
में अपनी हरि रूठे हर वार र नहि पावे हरि हूं होय लाचार
की खुले मोक्ष का द्वार दे निश्चित हो उद्धार