जय गुरुदेव जय जय गुरूदेव तुम्हरे चरन हैं भव भय हारन
कष्ट निवारन शोक नसावन सुर नर सुनि तब ध्यान लावें कोटि जतन करि थाह न पा आदि अन्त तव कोउ नह जाना
आगम निगम पुरान बखाना अशंरण शंरण दीन हितकारी करुणा सिन्धु कृपाल पुरारी जय जग बन्घु सकल गुण राशी
प्रकति पार प्रश्न घट घट वासीं गज अद्धत अखंड अभेदा कहि जिहि नेति बखानहि वेदा तेहि की शरण गहेउँं अब आई
करह॒ कर्पो प्रभु मोहि अपनाई जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव तुम्हरे चरण है भव भय हारन कष्ट निवारन शोक नसावन
सुर नर मुनि तव ध्यान लगावैं कोटि जतन करि थाह न पावैं आदि अन्त तव कोउ नहि जाना आगम निगम पुरान बखाना अशरण शरण दीन हितकारी करुणा सिंधु कृपाल पुरारी जय जग बन्धु सकल गुण राशी प्रकृति पार प्रभु घट घट वासी अज अद्वैत अखंड अभेदा कहि जेहि नेति बखानहिं वेदा तेहि की शरण गहेउँ अब आयी करहुँ कृपा प्रभु मोहिं अपनाई