गरुदेव से बढ़कर कोई नही मेरा उनके सिवा अब कोई नहीं
जिनके श्री चरणों के रज को सुर नर मुनि सभी तरसते है जिनके चरणों के ध्यानों से पापी भी पार उतरते हैं उस चरण से बढ़ कर कोई नहीं
प्रभ॒ रामलाल विश्वेश्वर है अखिलेश्वर हैं योगेश्वर हैं सारे जग के उद्भव कर्ता पालन कर्त्ता जगदीश्वर हैं मेरे प्रभुजी से बढ़कर कोई नहीं
अगणित ब्रह्माण्डों की रचना प्रति रोम से जिसके होती है जिसके सभ्मुख सारी कुदरत नत मस्तक होकर रहती है उस बहा से बढ़ कर कोई नहीं
जिसकी माया से सुर नर मुनि सबही मोद्िति हो जाते है जिसकी महिमा ब्रह्मा विष्ण शिव भी निज मुख से गाते हैं माया पति प्रभु सा कोई नहीं
हे पुरुप विशेष पतंजलि के हम तेरी शरण में आये हैं हम तेरे अकिचन बालक हैं चरणों में शीश सुकाये है टु्म सा अघ हारी कोई नहीं