श्री गुरूदेव दयालु तुमको लाखों प्रणाम तुमको लाखों
भक्तों के दुख हरने वाले विघ्न निवारण करने वाले संकट हरने वाले तुमको लाखों प्रणाम
भव सागर की भीषण धारा तुम बिन नाथ न कोई सहारा योग की नइया तुम्हीं चलाते केवट बन कर पार लगाते भव भय हरने वाले तुमको लाखो प्रणाम
कूप में सुरसरि दरश करायो निज तन शंकर रूप लखायो शक्ति पात प्रभ सर मेंह कीन्हा निज जन रोग मुवत कर दीन््हा निज इच्छा तन धारी तुमको लाखों प्रणाम
बाद््राम की इच्छा राखी देख पादुका तासु प्रण राखी मभु की शरण में जो भी आया उसको प्रभु ने गले लगाया हे शरणागत पालक तुमको लखों प्रणाम
योग सुधा सरसाने वाले दुखियों को हरपाने वाले संसति वलेश छुड़ाने वाले अमर धाम पहुँचाने वाले मुनि मन हरने वाले तुमको लाखों प्रणाम